Shree Nijanand Sampraday me Anko ka Mahatmya

एक सौ आठ पक्ष : (आत्मा के सोपान)
श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वन्दन, दास्य, सख्य, आत्म निवेदन

उपरोक्त एक सौ आठ आत्मजागुति के सोपान बताये गये हैं। नवधा भक्ति के नव प्रकार को सत, तम, रज गुणों से विभक्त करने पर 9 X 3 = 27 पक्ष स्वर्ग तक गति बताई गई है। इन्हीं 27 पक्षों कि पुन: पुष्ट, प्रवाह, मर्यादा भावों से विभक्त करने पर 27 X 3 = 81 पक्ष बैकुण्ठ तक माना गया है। 82वां पक्ष महाविष्णु के महाकारण में लीला है। 83वां पक्ष अक्षर ब्रह्म के ह्रदय के अन्तर्गत है। उससे परे सम्पूर्ण अक्षरधाम और परमधाम को पचीस पक्षों में बताया गया है। उस धाम के अन्तर्गत विशुद्ध परा प्रेम लक्षणा भक्ति पतिव्रत भाव के माध्यम से ही प्रवेश सम्भव है। इसी भाव को लेकर माला की मनियां (मोती) एक सौ आठ रखे जाते हैं। पूज्य - जनों के नाम में भी 108 लगाने की परम्परा भी इसी भाव से उतपन्न है। 


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